Sandhi aur samas mein antar। संधि और समास में अंतर। संधि और समास में अंतर स्पष्ट कीजिए।

प्रिय पाठकों, आपका स्वागत है हमारे वेबसाईट personalstudys.com में। दोस्तों आज के इस ब्लॉग Sandhi samas mein antar में हम आपको संधि और समास में अंतर, सन्धि के प्रकार एवं उदाहरण, संधि के भेद, आदि के बारे में बताएंगे।
दोस्तों आज का ब्लाग पोस्ट किसी भी प्रतियोगी परिक्षा की तैयारी के लिए काफी महत्वपूर्ण है, तो इसे अन्त तक जरुर पढें।
संधि किसे कहते हैं – सन्धि के प्रकार एवं उदाहरण
दो समीपवर्ती वर्णो के मेल से जो परिवर्तन होता है, वह संधि कहलाता है। संधि में पहले शब्द के अंतिम वर्ण एवं दूसरे शब्द के आदि वर्ण का मेल होता है। संधि किये हुए शब्दों को तोड़ने की क्रिया विच्छेद कहलाती है। संधि में जिन शब्दों का योग होता है उनका मूल अर्थ नहीं बदलता।
उदाहरण –
पुस्तक +आलय = पुस्तकालय।
देव + आलय = देवालय
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
मनः + योग = मनोयोग
संधि के नियमों द्वारा मिले वर्णों को फिर मूल अवस्था में ले आने को संधि-विच्छेद कहते है।
उदाहरण –
परीक्षार्थी = परीक्षा + अर्थी
वागीश = वाक् + ईश
अंतःकरण = अंतः + करण
Sandhi aur Samas main antar – संधि और समास में अंतर –
सन्धि और समास का अन्तर इस प्रकार है-
- समास में दो पदों का योग होता है; किन्तु सन्धि में दो वर्णो का।
- समास में पदों के प्रत्यय समाप्त कर दिये जाते है। सन्धि के लिए दो वर्णों के मेल और विकार की गुंजाइश रहती है, जबकि समास को इस मेल या विकार से कोई मतलब नहीं।
- सन्धि के तोड़ने को ‘विच्छेद’ कहते है, जबकि समास का ‘विग्रह’ होता है।
जैसे- ‘पीताम्बर’ में दो पद है- ‘पीत’ और ‘अम्बर’। सन्धि विच्छेद होगा- पीत+अम्बर;
जबकि समासविग्रह होगा- पीत है जो अम्बर या पीत है जिसका अम्बर = पीताम्बर। - संधि में वर्णो के योग से वर्ण परिवर्तन भी होता है जबकि समास में ऐसा नहीं होता
इन्हें भी पढ़ें –
संधि के भेद
संधि के पहले वर्ण के आधार पर संधि के तीन भेद किये जाते हैं- स्वर-संधि, व्यंजन-संधि, व विसर्ग-संधि। संधि का पहला वर्ण यदि स्वर वर्ण हो तो ‘स्वर संधि’ (जैसे –नव + आगत = नवागत; संधि का पहला वर्ण ‘व’ – अ-स्वरवाल है), संधि का पहला वर्ण यदि व्यंजन वर्ण हो तो ‘व्यंजन संधि’ (जैसे- वाक् + ईश = वागीश, संधि का पहला वर्ण ‘क्’ व्यंजन वर्ण है) एवं संधि का पहला वरर्ण यदि विसर्गयुक्त हो तो ‘विसर्ग संधि’ (जैसे- मनः + रथ = मनोरथ, संधि का पहला वर्ण ‘नः’ विसर्गयुक्त है) होता है।
समास किसे कहते हैं –
समास शब्द दो शब्दों ‘सम्‘ (संक्षिप्त) एवं ‘आस‘ (कथन/शब्द) के मेल से बना है जिसका अर्थ है – संक्षिप्त कथन या शब्द। समास प्रक्रिया में शब्दों का संक्षिप्तकरण किया जाता है। जैसे – नील कमल (नीला है जो कमल)
समास – दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिल कर बने हुए नए सार्थक शब्द को समास कहते हैं।
समस्त-पद सामासिक पद – समास के नियमों से बना शब्द समस्त-पद या सामासिक शब्द कहलाता है।
समास-विग्रह – समस्त पदों के सभी को अलग-अलग किये जाने की प्रक्रिया समास-विग्रह या व्यास कहलाती है जैसे- ‘नील कमल’ का विग्रह ‘नीला है जो कमल’ तथा ‘चौराहा’ का विग्रह है- चार राहों का समूह।
* यहाँ ध्यान देने की बात है कि हिंदी में सन्धि केवल तत्सम पदों में होती है, जबकि समास संस्कृत तत्सम, हिन्दी, उर्दू हर प्रकार के पदों में। यही कारण है कि हिंदी पदों के समास में सन्धि आवश्यक नहीं है।
Subscribe our youtube channel : personalstudy01